अररिया – आज अपने सुहाग की सलामती के लिए महिलाएं रखेगी व्रत

– पूजा की सामान जमकर की खरीदारी,बाजार में लगी रही भीड़
-वट सावित्री के दिन यानी आज महिलाएं बरगद वृक्ष की करेगी पूजा।

नजरिया न्यूज़ अररिया। सुहाग की सलामती के लिए रखे जाने वाले व्रत वट सावित्री पर्व की  तैयारी पुरी कर ली गई हैं।महिलाएं आज यानी शुक्रवार को  सावित्री का व्रत रखेंगी।इसको लेकर महिलाएं पूर्व से ही खरीदारी में जुट गयी थी।शृंगार प्रसाधन के साथ पूजा सामग्रियों की खरीदारी के लिए बाजारों में काफी भीड़ लगी रही।खरीदारी के लिए बाजारों में विशेष चहल-पहल  देखी गई।बताया जाता है कि ताड़ के पंखे, सावित्री-सत्यवान व प्रतिमा खरीदारी के लिए दुकानों पर महिलाए पहुंच रही है। वट सावित्री का खरीदारी कर रहे  कुछ महिलाओं ने बताया कि व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए बहुत मायने रखता है। महिलाएं सुहाग की सलामती के लिये यह व्रत रखती हैं। पिछले साल की अपेक्षा इस साल महंगाई बढ़ गयी है, लेकिन व्रत के आगे महंगाई की परवाह कोई नहीं।

सावित्री ने अपने पति सत्यवान के प्राण यमराज से लाया था वापस

सहारा समिति दुर्गा मंदिर के पुजारी पंडित ललित नारायण झा  बताया कि मान्यता है कि इस व्रत को रखने से पति पर आये संकट चले जाते हैं व आयु लंबी हो जाती है।यही नहीं, अगर दांपत्य जीवन में कोई परेशानी चल रही हो तो वह भी इस व्रत के प्रताप से दूर हो जाते हैं। सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र व सुखद वैवाहिक जीवन की कामना करते हुए इस दिन वट यानी कि बरगद के पेड़ के नीचे पूजा-अर्चना करती हैं। इस दिन सावित्री व सत्यवान की कथा सुनने का विधान है।मान्यता है कि इस कथा को सुनने से मनवांछित फल की प्राप्ति होती है। पौराणिक कथा के अनुसार सावित्री मृत्यु के देवता यमराज से अपने पति सत्यवान के प्राण वापस ले आयी थी।  वट सावित्री व्रत कब है ‘स्कंद’ और ‘भविष्योत्तर’ पुराण’ के अनुसार वट सावित्री का व्रत हिंदू कैलेंडर की ज्येष्ठ शुक्ल पूर्णिमा तिथि पर करने का विधान है। वहीं, ‘निर्णयामृत’ इत्यादि ग्रंथों के अनुसार वट सावित्री व्रत पूजा ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की अमावस्या पर की जाती है। उत्तर भारत में यह व्रत ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या को ही किया जाता है।

बरगद के पेड़े में ब्रह्मा, विष्णु व महेश का है वास

पंडित श्री झा बताते हैं कि बरगद में कई जटाएं निकली होती हैं।कहते हैं कि इसी पेड़ के नीचे सावित्री ने अपने पति को यमराज से वापस पाया था। सावित्री को देवी का रूप माना जाता है।हिंदू पुराण में बरगद के पेड़े में ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास बताया जाता है। मान्यता के अनुसार ब्रह्मा वृक्ष की जड़ में, विष्णु इसके तने में और शि‍व ऊपरी भाग में रहते हैं।इसलिए माना जाता है कि इस पेड़ के नीचे बैठकर पूजा करने से हर मनोकामना पूरी होती है।वट सावित्री व्रत करने और इसकी कथा सुनने से उपासक के वैवाहिक जीवन या जीवन साथी की आयु पर किसी प्रकार का कोई संकट आया भी हो, तो टल जाता है।

वट सावित्री व्रत का ऐसे करें पूजा

पंडित ललित नारायण झा के अनुसार वट सावित्री व्रत के दिन सुबह उठकर स्नान करना होता है, इसके बाद स्वच्छ वस्त्र धारण किया जाता है।वहीं, उसके बाद व्रत का संकल्प लिया जाता है।24 बरगद का फल, और 24 पूरियां अपने आंचल में रखकर वट वृक्ष के पास पूजा किया जाता है। इस दौरान 12 पूरियां व 12 बरगद फल वट वृक्ष पर चढ़ाया जाता है।इसके बाद एक लोटा जल चढ़ाएं, फिर वृक्ष पर हल्दी, रोली व अक्षत लगाया जाता है।फल-मिठाई अर्पित किया जाता है। धूप-दीप दान करने के बाद कच्चे सूत को लपेटते हुए 12 बार परिक्रमा करना होता है। हर परिक्रमा के बाद भीगा चना चढ़ाएं जाते है। इसके बाद व्रत कथा पढ़े, फिर 12 कच्चे धागे वाली माला वृक्ष पर चढ़ाएं व दूसरी खुद पहन लें। छह बार इस माला को वृक्ष से बदलें व 11 चने और वट वृक्ष की लाल रंग की कली को पानी से निगलकर अपना व्रत खोलने की नियम है।

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