भरगामा/अररिया। भरगामा प्रखंड में महिलाओं ने अपने पति की लंबी उम्र के लिए वट सावित्री व्रत कर पूजा अर्चना की। भरगामा सहित महथावा,पैकपार, जयनगर, रघुनाथपुर दक्षिण एवं आसपास के इलाकों में भी महिलाओं ने तपती धूप और गर्मी के बीच पति की लंबी उम्र की कामना के लिए वट सावित्री का व्रत रखकर पूरे विधि विधान के साथ पूजा की। फिर मौली धागे को लेकर 7 और 108 फेरे लेकर व्रत पुरा किया।
महिलाओं ने बताया कि वट सावित्री व्रत की कथा के अनुसार अश्वपति की बेटी सावित्री का विवाह सत्यवान हुआ। भगवान के पिता का राज पाट छिन गया था। इसलिए उनके पति अपने माता-पिता के साथ जंगल में रहते थे। सत्यवान जंगल में लकड़ियां काटने जाया करते थे। और सावित्री अपने अंधे सास-ससुर की सेवा करती थी। एक दिन सावित्री भी सत्यवान के साथ जंगल में लकडिया काटने गई।

लकडियां काटते समय सत्यवान को चक्कर आने लगा तो उतर कर नीचे बैठ गया। उसी समय भैसें पर सवार होकर यमराज सत्यवान का प्राण हरने आए। सावित्री उन्हौनें यमराज को पहचान लिया और उनसे कहा कि आप मेरे सत्यवान के प्राण ना ले बदले में आप मेरे प्राण ले लें। जिस पर यमराज को विवश होकर सत्यवान का प्राण वापस लौटाना पड़ा।
इसी को लेकर जेष्ठ माह की कृष्ण अमावस्या को वट सावित्री का व्रत रखा जाता हैं। महिलाएं व्रत पति की दीर्घायु अखंड सौभाग्य व परिवार की उन्नति के लिए रखती हैं। यह दिन वट वृक्ष की पूजा करना श्रेष्ठकर माना जाता हैं।