- 18 से 22 सितंबर के बीच संसद का बुलाया गया विशेष सत्र, क्यों बुलाया गया सरकार ने इस सवाल का अब दे दिया है जवाब,…
दुर्केश सिंह वत्स, नज़रिया न्यूज -15 सितंबर,पटना/लखनऊ।18 से 22 सितंबर के बीच संसद का विशेष सत्र क्यों बुलाया गया है, सरकार ने इस सवाल का जवाब दिया है जिसकी चर्चा अधिकांश ग्रामसभाओं में हो रही है। ग्राम सभा के सदस्यों का कहना है कि प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के प्रस्ताव पर सत्ता पक्ष के सांसद और विधायक मुहर लगाने के लिए मजबूर हैं। सत्र का कोई महत्व नहीं है।लोकसभा और विधानसभाओं के सदसो का उसी प्रकार से कोई अंकुश प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री पर नहीं होता जिस प्रकार ग्राम पंचायतों के कार्यों के चयन में 99.99 फीसद ग्रामसभा सदस्यों का कोई अंकुश नहीं होता। बिहार में शराब बंदी कानून और केंद्र में घरेलू हिंसा कानून इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। जानकारी के मुताबिक लोकसभा सचिवालय के आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल से बताया गया है कि बाक़ी कार्यवाही से अलग सत्र के पहले दिन 18 सितंबर को दोनों सदनों में संसद के 75 साल के सफ़र पर चर्चा की जाएगी।इसके तहत संविधान सभा से लेकर संसद की उपलब्धियों, अनुभवों और यादों की चर्चा की जाएगी।
उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले के ग्राम सभा विजेथुआ राजापुर के ग्राम सभा सदस्य सह कंम्युनिष्ट पार्टी के दिग्गज कामरेड राम बरन नेता ने कहा:भारत में साल 1967 तक लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए चुनाव एक साथ ही होते थे।साल 1947 में आज़ादी के बाद भारत में नए संविधान के तहत देश में पहला आम चुनाव साल 1952 में हुआ था।
भटपुरा नारायणपुर ग्रामसभा के सदस्य सुखमंगल यादव ने कहा:टेलीग्राफ लिखता है कि ये संभवत: पहली बार है, जब विपक्षी दलों ने सत्ता की तरफ़दारी करने वाले पत्रकारों को निशाना बनाने का फ़ैसला किया है। गुरुवार को इंडिया गठबंधन की ओर से उन 14 एंकरों की सूची जारी कर दी गई है, जिनके प्रोग्राम इसके नेताओं ने नहीं जाने का फ़ैसला किया है। लोकसभा के विशेष सत्र में इसकी चर्चा सत्ता पक्ष की तरफ से हो सकती है। उन्होंने कहा: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जो चाहेंगे, लोकसभा में वह होगा।
बिहार में किशनगंज सदर श्रेत्र के कांग्रेसियों ने कहा: इंडिया गठबंधन की तरफ से अदिति त्यागी, अमन चोपड़ा, अमीश देवगन, आनंद नरसिम्हन, अर्णब गोस्वामी, अशोक श्रीवास्तव, चित्रा त्रिपाठी, गौरव सावंत, नाविका कुमार, प्राची पाराशर, रुबिका लियाकत, शिव अरूर, सुधीर चौधरी,और सुशांत सिन्हा की एंकरिंग का बहिष्कार का निर्णय लिया गया है। इंडिया गठबंधन के इस निर्णय पर भी लोकसभा सत्र के दौरान हंगामा हो सकता है।
बिहार प्रदेश के ग्रामसभा टेउसा के ग्रामसभा सदस्यों ने कहा:
शारीरिक, मानसिक और आर्थिक हिंसा का नायाब उदाहरण बिहार का शराबंदी कानून हैं। इस
कानून पर विधानसभा में गोपनीय मतदान कराया जाए तो 99फीसद विधायक इसके विरोध में मतदान करेंगे। इस कानून के चलते शराब पीने मात्र से लाखों लोगों का करियर अचानक खत्म हो चुका है।, आत्म विश्वास और जीवन यापन छिन चुका है। अंग्रेजी हुकूमत भी तो यही करती थी जिसके विरोध में पूरा देश खड़ा हो गया था।
अररिया के जोगबनी नगर पंचायत के लोगों ने कहा:शराब पीना संज्ञेय और गैर जमानती अपराध बनाने का अधिकार संविधान में राज्य सरकारों को है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को ऐसे अधिकार को अमृत काल के विशेष सत्र में समाप्त करने का विधेयक पारित करना चाहिए।
किशनगंज नगर परिषद क्षेत्र के लोगों ने कहा:शराब पीना खराब आदत है, लेकिन अपराध नहीं है। ज शराब पीना भी अपराध नहीं है।
केंद्र सरकार का कानून 498ए के विषय में ठाकुरगंज नगर पंचायत के लोगों ने कहा: ये कानून महिलाओं को विशेष सुरक्षा प्रदान करता है। गुजरात के पूर्व एडीजी डॉ. रंजन प्रियदर्शी के बयान की चर्चा करते हुए ठाकुरगंज के पूर्व विधायक गोपाल अग्रवाल कहते हैं, “महिलाओं के लिए 498ए बहुत क्रांतिकारी क़ानून है। महिलाओं के ख़िलाफ़ उत्पीड़न रोकने में इसने बहुत अहम भूमिका निभाई है।