– किट वितरण के साथ ही मरीजों की देखभाल करने के बताए गए तौर तरीक़े
– जिले में फाइलेरिया के हैं 3200 मरीज।
बेतिया, 03 मई। फाइलेरिया एक गंभीर बीमारी है। इसे हाथी पांव के नाम से भी जाना जाता है। यह क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होता है। इस बीमारी से संक्रमित होने के बाद लोगों में कई वर्ष के बाद हाथीपांव, बढ़े हुए हाइड्रोसील, महिलाओं के स्तनों में सूजन इत्यादि के रूप में लक्षण दिखाई देता है। यह कहना है जिले के सिविल सर्जन डॉ श्रीकांत दुबे का। उन्होंने बताया कि इस बीमारी में शरीर अपंग की तरह हो जाता है। बताया कि फाइलेरिया मरीजों की देखभाल को स्वास्थ्य विभाग द्वारा समय समय पर एमएमडीपी किट मुफ्त में उपलब्ध करायी जाती है। साथ ही स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा इसके उपयोग के तौर तरीके भी सिखाए जाते हैं। किट के प्रयोग से फाइलेरिया मरीजों को काफी राहत मिलती है ।
मरीजों के बीच हुआ किट का वितरण:
जिले के बगहा 02 के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ अतुल कुमार राय व फाइलेरिया इंचार्ज राजकुमार शर्मा ने बताया कि 30 फाइलेरिया मरीजों को एमएमडीपी किट उपलब्ध कराई गई है। वहीं केयर इंडिया के बीसी श्याम सुंदर कुमार ने स्वास्थ्य कर्मियों के साथ फाइलेरिया मरीजों को किट उपयोग के तरीके बताए। उन्होंने बताया कि किट में एक छोटा टब, मग, साबुन, एंटी सेप्टिक क्रीम, पट्टी इत्यादि सामान होते हैं। इसके सहयोग से फाइलेरिया मरीज अपने जख्म को ठीक कर सकते हैं। जिससे उन्हें काफी राहत मिलती है।
दवा का सेवन करें औऱ फाइलेरिया से सुरक्षित रहें:
जिला वेक्टर बोर्न डिजीज कंट्रोल ऑफिसर डॉ हरेन्द्र कुमार ने बताया कि फाइलेरिया से बचने का सबसे बेहतर उपाय है कि एमडीए अभियान के दौरान सर्वजन दवा का सेवन करें औऱ फाइलेरिया से सुरक्षित रहें। उन्होंने बताया कि जिले में 2635 हाथी पाँव के मरीज हैं। वहीं हाइड्रोसील के 538 मरीज हैं। भीबीडीएस सुजीत कुमार वर्मा ने बताया कि फाइलेरिया के मच्छर गंदगी में पैदा होते हैं। इसलिए इस रोग से बचने के लिए घर के आस-पास सफाई रखना जरूरी है। दूषित पानी व जमे पानी पर केरोसीन तेल छिड़क कर मच्छरों को पनपने से रोकें। उनके अनुसार सोने के समय मच्छरदानी का उपयोग करें।