नज़रिया न्यूज, लखनऊ/बाँदा। जर्जर बैरक ढह जाने से बांदा में एक पुलिसकर्मी की जान 09अगस्त को चली गई। इस मौके पर अधिकतर जवानों के जुबान पर एक ही सवाल था कि अफ़सरों के सरकारी बंगलों पर करोड़ों खर्च हो रहे हैं, पानी की तरह पैसा बहाया जा रहा है।दफ़्तर होने के बाद भी कमांड बन रहे हैं, साइड ब्रांच बन रहे हैं,अतिरिक्त कक्ष बन रहे हैं।

पुलिसिंग व्यवस्था सुधारी जा रही है।लेकिन, सिपाही जर्जर बैरकों में रहने के लिए मजबूर हैं। ये केवल एक नहीं, अधिकतर ज़िलों के पुलिस आवास के यही हालात हैं। सिपाही जर्जर बैरकों में रहने को मजबूर।