– इसरावती देवी पीजी कॉलेज कंम्मरपुर हरीपुर करौलीकला के प्रबंधक बीरेंद्र मिश्र ने कहा जो चुनौतियों का डटकर सामना करे- न रात देखे, ना ही दिन देखे, ना भूख देखे, ना ही प्यास देखे, समय पर अपने लक्ष्य को पूरा करें- वहीं शिक्षक और वहीं विद्यार्थी है
दुर्केश सिंह नज़रिया न्यूज
विशेष संवाददाता सुल्तानपुर। भारत रत्न Dr APJ Abdul Kalam जी ने प्रारंभिक शिक्षा Schwartz Higher Secondary School रामानाथपुरम, तमिलनाडु से मैट्रिक की शिक्षा प्राप्त की। स्कूल के दिनों में वह अपने एक शिक्षक से बहुत ज्यादा प्रभावित थे। जिनका नाम अयादुरै सोलोमन था। उनके शिक्षक का मानना यह था कि ख्वाहिश, उम्मीद और यकीन को हमेशा अपने जीवन में रखना चाहिए। इन मूल मंत्रों पर काबू करना बहुत जरूरी है। इन तीन मूल मंत्रों के कारण अपनी मंजिल को बिना किसी परेशानी के पा सकते हैं। यह बात इसरावती देवी पीजी कॉलेज के प्रबंधक सह शिक्षा विद बीरेंद्र मिश्र ने कही। वे शिक्षक दिवस 2023 को लेकर अपने कार्यालय कक्ष में नजरिया न्यूज से विशेष बातचीत कर रहे थे। बातचीत के संपादित अंश के मुताबिक उक्त
मूल मंत्रों को अब्दुल कलाम जी ने अपने आखिरी समय तक अपने जीवन में कायम रखा।
अपनी प्रांरभिक शिक्षा पूरी करने के बाद डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने तिरुचिरापल्ली के सेंट जोसेफ कॉलेज से 1954 भौतिक विज्ञान में बीएससी (B.Sc) की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद 1955 में वह मद्रास चले गये। कलाम जी को लड़ाकू पायलट बनना था जिसके लिए उन्होनें Institute of Technology in Aerospace Engineering में शिक्षा ग्रहण की परन्तु परीक्षा में उन्हें नौवां स्थान मिला जबकि आईएएफ (IAF) ने आठ परिणाम घोषित किये जिसके कारण वह सफल नहीं हो पाए।
स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद Dr APJ Abdul Kalam एक प्रोजेक्ट पर काम करने लगे थे और प्रोजेक्ट इंचार्ज ने रॉकेट के मॉडल मात्र तीन दिनों में पूरा करने का समय दिया था और साथ में यह भी कहा था कि अगर यह मॉडल ना बन पाया तो उनकी स्कॉलरशिप रद्द हो जाएगी। फिर क्या था? अब्दुल कलाम जी ने न रात देखी, ना ही दिन देखा, ना भूख देखी, ना ही प्यास देखी।
मात्र 24 घंटे में अपने लक्ष्य को पूरा किया और रॉकेट का मॉडल तैयार कर दिया। प्रोजेक्ट इंचार्ज को विश्वास नहीं हुआ कि यह मॉडल इतनी जल्दी पूरा हो जायेंगा। उस मॉडल को देखकर प्रोजेक्ट इंचार्ज भी आश्चर्यचकित हो गए थे। इस प्रकार डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने अपने जीवन कई चुनौतियों का डटकर सामना किया।
अब्दुल कलाम कुल पांच भाई बहन थे जिसमें तीन बड़े भाई और एक बड़ी बहन थी। जब अब्दुल कलाम का जन्म हुआ तब इनका परिवार गरीबी से जूझ रहा था। परिवार की मदद करने के लिए डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने छोटी सी उम्र में ही अखबार बेचने का काम शुरू कर दिया था। स्कूल के दिनों में वह पढ़ाई में सामान्य थे परन्तु नई चीजों को सीखने के लिए हमेशा तत्पर रहते थे। चीजों को सीखने के लिए वह हमेशा तैयार रहते थे और घंटों पढ़ाई किया करते थे। गणित विषय इनका मुख्य और रूचि वाला विषय था।
भारत के परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में अहम किरदार निभाने के कारण अब्दुल कलाम जी को “भारत का मिसाइल मैन“ भी कहा जाना लगा ।
परमाणु हथियार कार्यक्रमों में सम्मिलित होने कारण डॉ अब्दुल कलाम जी को भारत का सर्वाेच्च नागरिक पुरस्कार भी प्रदान किया गया । हालिका अब वो हमारे बीच नहीं है लेकिन भारत देश उनके द्वारा किये गए कामों, योगदान और राष्ट्रपति के रूप में उनके कार्यकाल को हमेशा याद रखेगा।
इससे पहले इसरावती देवी पीजी कॉलेज के प्रबंधक बीरेंद्र मिश्र ने कहा कि शिक्षक से विद्यार्थी, विद्यालय और पूरा समाज पर प्रभावित होता है। इसी दृष्टि से कहा जाता है कि शिक्षक ही असल मायनों में राष्ट्र का निर्माता होता है।
शिक्षक वैसे तो शिक्षा देने वाले व्यक्ति को कहते हैं। छात्र के मन में सीखने(अधिगम)की जिज्ञासा को जो जागृत कर दें, वह शिक्षक हैं।
उल्लेखनीय है कि शिक्षक दिवस प्रतिवर्ष 5 सितंबर को देश के पहले उपराष्ट्रपति और पूर्व राष्ट्रपति, विद्वान, दार्शनिक व भारत रत्न से सम्मानित डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। राधाकृष्णन का जन्म इसी दिन 1888 में हुआ था।
1962 में जब डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने भारत के दूसरे राष्ट्रपति के रूप में पदभार संभाला तो उनके छात्र 5 सितंबर को एक विशेष दिन के रूप में मनाने की अनुमति मांगने के लिए उनके पास पहुंचे। जिस पर उन्होंने छात्रों से समाज में शिक्षकों के अमूल्य योगदान को बताने के लिए 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाने का अनुरोध किया। डॉ. राधाकृष्णन ने एक बार कहा था कि “शिक्षकों को देश में सर्वश्रेष्ठ दिमाग वाला होना चाहिए।