नजरिया संवाद, संतोष यादव धमदाहा /पूर्णिया ।
एक साथ चार लोगों की उठी अर्थी तो गांव में मचा कोहराम। किसी की पत्नी बेहोश हो रही है तो कई बच्चे अभी बिलख बिलख कर रो रहे हैं। विगत दो दिनों से यही हाल है धमदाहा थाना क्षेत्र के बिशनपुर पंचायत के सुंगठिया गांव के वार्ड नंबर एक का। लगभग 200 मीटर की दूरी में चार लोगों की लाश एक साथ घर आने पर जैसे गांव में कोहराम मच गया तो पूरे गांव में मातमी सन्नाटा पसरा हुआ है। हर आंखें जहां नम है वही लोग इस विपदा की घड़ी में एक दूसरे का चेहरा देखकर रोने लग रहे हैं। घटना की खबर सुनते ही जहां जीतेंद्र उरांव की पत्नी दहाड़ मार कर दो दिनों से रो रही है वही लाश के घर आने के बाद से वह 1 दर्जन से अधिक वार बेहोश हो चुकी है। गांव के लोग उसे संतावना देने में लगे हुए हैं लेकिन वह अभी मानने को तैयार नहीं है कि जो जितेंद्र उरांव सुबह उसके हाथ से नाश्ता करके घर से निकला था शाम होते-होते उसकी लाश घर वापस आई। मृतक जीतेंद्र को पांच बेटी एंव एक छोटा बेटा है तो उसके घर में कमाने वाला और कोई नहीं है परिणाम स्वरुप उसकी पत्नी यह सोचकर बार-बार बेहोश हो रही है कि अब उनके बच्चे का लालन पालन कैसे होगा। यही हाल उसकी सबसे बड़ी बेटी जो लगभग 14 वर्ष की है उसकी भी है वह भी दहार मार के रो रही है तो उसका आंसू रूकने का नाम नहीं ले रहा है। कमोबेश इस सड़क दुर्घटना में मारे गए तीनों परिवार के लोगों का भी यही हाल है। सभी लोग मजदूर तपके थे तो लाल कार्ड में मिली जमीन के छोटे हिस्से में जोत-अबाद कर जानवर को पालकर अपने परिवार का लालन पालन कर रहे थे। हालांकि जमीन पाने की आस में सुंगठिया गांव के 4 दर्जन से अधिक परिवार तीन दशक से कभी जमीन पर जाकर लड़ाई लड़ रहे हैं तो कभी थाना में और कभी कोट कचहरी में। पीड़ित परिवारों का कहना है कि यह जमीन सिर्फ नाम की नहीं है बल्कि उनक�