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फ़ोटो परिचय:
इसी मकरीकुंड के किनारे लंका से हिमालय पर्वत पर जाते समय हनुमानजी रुके थे और कालनेमी राक्षस का पता चलने पर पताल लोक में दाबकर संजीवनी बूटी लाने के रवाना हुए थे– नज़रिया न्यूज
प्रवीण कुमार सिंह
नज़रिया न्यूज
संवाददाता
सुल्तानपुर। उत्तर प्रदेश के जौनपुर-सुल्तानपुर जिले की सीमा पर सूरापुर में स्थित बिजेथुआ महाबीरन धाम पूर्वांचल की आस्था का प्रमुख केंद्र है। मान्यता है कि हनुमान जी ने इसी स्थान पर त्रेतायुग में कलिनेमि नामक राक्षस का वध किया था। यहां स्थित मकड़ी कुंड में नहाकर हनुमानजी के दर्शन करने और हनुमानजी के गुणों को अपनाने से सभी दुःख-संकट दूर हो जाते हैं।मंगलवार और शनिवार के दिन यहां भारी संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने पहुंचते हैं।
नागपंचमी के बाद के प्रथम चार मंगलवार को विशेष मेला लगता है। जिसे क्रम से बड़का, बुढ़वा, लंगड़ा और छोटका मंगल कहते हैं। इनमें प्रथम तीन मंगलवार को श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ने से महाकुंभ का दर्शन होता है।
विजेथुआ राजापुर के प्रधान प्रतिनिधि रामबरन नेता कहा कि उनके बचपन में पांच- सात किमी के इलाके के अधिकांश परिवारों का घरों पर बड़ी संख्या में मेहमान और रिश्तेदार पहुंचते थे। अब वह समय नहीं रहा। सर्कस और चिड़िया घर मेला का मुख्य आकर्षण रहता था। कानपुर और बहराइच तक से दुकानें आती थीं। सुरक्षा के लिए कई जिलों के पुलिस बल की तैनाती रहती थी। फिलहाल अब पहले की तरह श्रद्धालुओं की भीड़ नहीं होती।
गौरतलब है कि विजेथुआ धाम सुल्तानपुर और जौनपुर जिला मुख्यालय से 60-70 किमी दूर सुल्तानपुर जिले में स्थित है। बिजेथुआ महाबीरन धाम की पौराणिक काल से मान्यता है। अयोध्या धाम की दूरी यहां से लगभग 120 किमी है। प्रयाग और काशी की भी दूरी लगभग 120किमी पड़ेगी।
फ़ोटो परिचय: विजेथुआ में स्थित कालनेमी राक्षस की वधस्थली व हनुमानजी का मंदिर – नज़रिया न्यूज
फ़ोटो परिचय: मंदिर स्थान पर स्वत: स्फूर्त हनुमानजी की रामकालीन प्रतिमा-नजरिया न्यूज